लोहड़ी की रात मेरी पहली सुहागरात 1

(Lohdi ki raat mere pehli suhagrat-1 Nai Naveli Dulhan ki chudai )

नई नवेली दुल्हन की चुदाई कैसे हुई? इस कहानी में पढ़ें नमस्कार दोस्तो, मैं अनूप ठाकुर yachting4u.ru.xzy का नियमित पाठक हूँ। ऐसा शायद ही कोई दिन बीतता होगा जिस दिन मैं yachting4u.ru.xzy पर दो चार कहानियां नहीं पढ़ता।
आजतक मैंने कभी भी yachting4u.ru की कोई रचना नहीं छोड़ी होगी। कुछ कहानियां काल्पनिक लगती हैं और कुछ सच्ची भी लगती हैं। लेकिन पूरा सार यह निकलता है कि हर एक कहानी ऐसी होती है कि सेक्स की आग भड़का ही देती है।

मैं भी आज आप सबके सामने अपनी ऐसी ही कई आपबीती में से एक लेकर आया हूँ। उम्मीद है आपको मेरी ये सच्ची कहानी अच्छी लगेगी। इस कहानी के सभी पात्र एवं घटनाएं सच्ची हैं। बस गोपनीयता बनाए रखने के लिए लड़की का नाम और सटीक पता बदल दिया गया है।
और हाँ इस कहानी में कोई अतिरिक्त मसाला इस्तेमाल नहीं किया गया है, जो सच है बस वो ही लिखा है और आप लोगों के सामने पेश किया है।

तो अब मैं सीधे अपनी कहानी पे आता हूँ। मैं चंडीगढ़ में रहता हूँ और पढ़ाई मैंने सेक्टर 22 से की है.
बात आज से 10 साल पहले की है जब मैं 12वीं में पढ़ता था। मेरे घर के पास ही में 2 घर छोड़ के मेरे से एक साल छोटी मेरी जूनियर रहती थी जिसका नाम नैना था। पहले मेरी उसमें कोई रूचि नहीं थी, मेरा ध्यान सिर्फ फुटबॉल खेलने में रहता था. मैं अपने स्कूल के सबसे अच्छे खिलाड़ियों में आता था इसलिए मुझे सिर्फ अपने खेलने से और पढ़ाई से ही काम होता था।

लेकिन वो कहते हैं ना कि किस्मत के आगे किसी का बस नहीं चलता।

घर पर हम सब क्रिकेट या फिर पिट्ठू खेलते थे। नैना हमारे पड़ोस में काफी टाइम से रहती थी लेकिन आजतक कभी उसकी तरफ ऐसा ध्यान नहीं गया था। लेकिन 12वीं के बाद से ही मेरी उसकी तरफ रूचि बढ़ गयी।
हमारे पड़ोस में एक भाभी के लड़का हुआ, कुछ महीने बाद वो थोड़ा बड़ा हुआ तो मैं उसके साथ खेल रहा था। तभी नैना मेरे पास आई और उसने मुझसे उस बच्चे को माँगा। मैंने भी दे दिया.
उसने जैसे ही उसको गोद में उठाया, उसने उस पर चुम्बनों की झड़ी लगा दी।

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और मेरे मुंह से एकदम से निकल गया कि काश मेरी भी ऐसी किस्मत होती और तुम मुझे भी ऐसे ही किस करती।
उसने कुछ नहीं कहा, बस हंस दी।
फिर मैं वहाँ से चला गया।

फिर बहुत दिनों तक बस मैं सोचता रहा कि क्या किया जाए।
और एक दिन मैंने मौका देखकर उसको प्रोपोज़ मार दिया कि वो मुझे पसंद है और मैं उससे प्यार करता हूँ।
उसने कुछ नहीं कहा.
फिर मैंने कहा- अगर तुमको ना करनी है तो कोई कारण भी बता देना ना करने का, अभी तुम एक दो दिन का समय ले लो।
उसने कहा- ठीक है, मैं तुमको सोच के दो दिन बाद जवाब दूंगी।

वो दो दिन किस तरह गुज़रे, मैं ही जानता हूँ।
फिर दूसरे दिन की शाम को उसने कहा- कल मैं ट्यूशन से बंक मारूंगी सुबह, तुम भी मार लेना।
मैंने कहा- ठीक है!
उसकी ट्यूशन सुबह 6 बजे होती थी और मेरी पांच बजे।

मैंने घर पे बोल दिया कि कल मेरी ट्यूशन का टाइम छह बजे का है।

फिर मैं और वो सुबह घर से दूर सड़क पर मिले और साथ में घूमें अभी कुछ दूर ही गए कि बारिश लग गई। फिर हम दोनों जल्दी से सेक्टर 17 बस स्टैंड पहुंचे और वहाँ हमने आराम से बैठकर कुछ देर तक बातें करी.

फिर मैं उसको लेकर थोड़ा साइड में आ गया और उससे पूछा- क्या सोचा तुमने?
तो उसने बिना कुछ कहे मेरे गाल पर एक किस दे दिया और कहा- आई लव यू टू।
यह सुनकर मेरी ख़ुशी का ठिकाना न रहा और मैंने वहीं नई नवेली दुल्हन की चुदाई  के होंठों पे किस कर दिया। उसने भी मेरा भरपूर साथ दिया और हमने एक दूसरे को दो तीन मिनट तक स्मूच किया। फिर हम ऐसे ही घर से बोल कर निकल जाते कि ट्यूशन जा रहे हैं पर घूमते रहते, एक दूसरे को चूमते और यहाँ वहाँ हाथ लगाते।

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फिर मुझे मेरे घर वालों ने मोबाइल ले दिया। कहने को तो वो पापा का मोबाइल था लेकिन उसको मैं ही चलाता था। फिर वो भी रात को अपने पापा का मोबाइल ले लेती और हम दोनों रात को दस से लेकर सुबह पांच छह बजे तक ढेर सारी बातें करते।

यह कहानी आप yachting4u.ru में पढ़ रहें हैं।

ऐसे ही किसी तरह बातें सेक्स की ओर चल पड़ी। मैं सच कहूँ तो मैंने आजतक कभी मुठ नहीं मारी थी लेकिन ब्लू फिल्म्स देख देख के ये ज़रूर सीख लिया था कि लड़की को कैसे गर्म करते हैं और कैसे चोदते हैं।
बस फिर हमारी सेक्सी बातें हमें पागल करने लगी और एक दिन हमने अकेले मिलने का प्लान करा।

वो लोहड़ी का दिन था 13 जनवरी… मैं अपने स्कूल के दोस्तों के साथ लोहड़ी मांगने गया हुआ था। नई नवेली दुल्हन की चुदाई  आने में थोड़ी देर हो गई जिस वजह से नैना मुझसे नाराज़ हो गई। सब लोग घर के पास वाले पार्क में लोहड़ी मना रहे थे। पार्क के बाहर मैं नैना को मनाने की कोशिश कर रहा था पर वो मान ही नहीं रही थी।

मैंने कहा- सॉरी जानू, प्लीज माफ़ कर दो! देखो ना आज घर पर कोई नहीं है तो मजे करने का पूरा मौका है।
वो बोली- इसीलिए तो मैं नाराज़ हूँ कि तुम इतनी लेट आए।

मैं उसकी यह बात सुन कर खुश हो गया और उसको पार्क के बाहर खड़े एक टैम्पो ट्रैक्स के ट्राले में ले जाकर खूब स्मूच किया। फिर धीरे धीरे वो भी साथ देने लगी। मैंने उसके टॉप के ऊपर से ही उसके चूचे दबाने शुरू कर दिए, उसकी साँसें तेज़ होने लगी और जब मैंने उसकी गर्दन और चूचों पर किस करना शुरू किया तो वो आहें भरने लगी।

तभी हमें गाड़ी के बाहर कुछ खड़के की आवाज़ आई और हम डर गए। मैंने उसको अंदर ही रहने को कहा और खुद बाहर आकर देखा कि क्या हुआ.
लेकिन वहाँ कोई नहीं था।
फिर उसने कहा कि यहां सेफ नहीं है, चलो मेरे घर चलते हैं।
मैंने भी हाँ कर दी क्यूंकि उसके हमारे सभी कॉलोनी वाले तो पार्क में लोहड़ी मना रहे थे। और फिर उसका घर मेरे घर से सिर्फ दो घर दूर था जिसका पिछले दरवाज़ा किसी के आने पे मुझे आसानी से मेरे घर तक जाने में मदद कर देता।

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मैं और नैना उसके घर गए और उसने अंदर से कुण्डी लगा कर पर्दा बंद कर दिया। फिर मैं उस पर टूट पड़ा और उसके चूचे फिर से दबाने लगा उसकी आहें भी तेज़ हो गई। उसके मुंह से आह… आह… उह्ह… उम्म्ह… अहह… हय… याह… ओह… यस… ओह… प्लीज जानू… जैसी आवाज़ें निकलने लगी।

फिर मैंने उसके टॉप को उतारा और जो मैंने देखा मुझे उस पर विश्वास नहीं हुआ।
उसने ब्रा पहन रखी थी और उसके अंदर उसके गोर चूचे बिल्कुल छोटे खरबूजे के साइज के थे।
मैंने कहा- वाह नैना, तुमने तो एक फुटबॉल प्लेयर के लिए फुटबॉल सज़ा रखें हैं, वो भी दो दो?
यह सुनकर वह हंस पड़ी और बोली- हाँ तो आओ और खेलो इनसे!

मैंने उसके चूचों को उसकी ब्रा के ऊपर से ही मसलना शुरू कर दिया वो तड़पने लगी, उसके मुंह से आह… उह्ह… उफ़… कम ऑन… आह ममम… यस… प्लीज… ज़ोर से दबाओ… और दबाओ… चूस लो इन्हें… आह अनु उउउ… जैसी आवाज़ें आने लगी जो मुझे और पागल बना रही थी।

फिर मैंने उसकी ब्रा को हटा दिया और मेरे सामने उसके बड़े बड़े चूचे उछलने लगे। मैंने उसको बेड पर लिटा दिया और उसके चूचे देखने लगा। जैसे जैसे उसकी साँसें तेज़ हो रही थी, वैसे ही उसके चूचों के ऊपर नीचे होने की स्पीड भी बढ़ रही थी।

मैंने फिर से उसके चूचों को दबाना और चूसना शुरू कर दिया, वो तड़पने लगी।

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