पहली बार चुदाई का खेल नौकरानी के साथ खेला-1

Pahli Bar Chudai Ka Khel Naukrani Ke Sath Khela-1

हैलो दोस्तो.. मेरा नाम राघव है और मैं पुणे का रहने वाला हूँ। जवानी की दहलीज पर सेक्स का पहला अनुभव पाने की सबकी इच्छा होती है, चाहे लड़का हो या लड़की. मालिक हो या नौकरानी।  Pahli Bar Chudai Ka Khel Naukrani Ke Sath Khela.

हमारे घर में एक नौकरानी है.. जिसका नाम चंचल है, चंचल को हमारे घर वाले गाँव से लाए थे, उसकी उम्र मेरे बराबर ही थी और हम दोनों एक साथ ही जवान हुए थे।

अब हम दोनों 20 साल के थे और चंचल का बदन भी अब एकदम खिल चुका था, उसकी चूचियाँ काफी बड़ी और चूतड़ एकदम मस्त हो गए थे।

मैं भी जवान हो चुका था और दोस्तों से चुदाई के बारे में काफी जान चुका था.. पर कभी किसी लड़की को चोदने का मौका नहीं मिला था।

चंचल हमेशा मेरे सामने रहती थी जिसके कारण मेरे मन में चंचल की चुदाई के ख्याल आने लगे। जब भी वो झाड़ू-पोंछा करती.. तो मैं चोरी-चोरी उसकी चूचियों को देखता था, हर रात चंचल के बारे में ही सोच सोच कर मुठ्ठ मारता था।

मैं हमेशा चंचल को चोदने के बारे में सोचता तो रहता था.. पर कभी न मौका मिला न हिम्मत हुई।

एक बार चंचल 3 महीनों के लिए अपने गाँव गई.. जब वो वापस आई तो पता चला कि उसकी शादी तय हो गई थी।

मैं तो चंचल को देख कर दंग ही रह गया, हमेशा सलवार-कमीज़ पहनने वाली चंचल अब साड़ी में थी, उसकी चूचियाँ पहले से ज्यादा बड़ी लग रही थीं। शायद कसे हुए ब्लाउज के कारण या फिर सच में बड़ी हो गई थी।

हिंदी सेक्स स्टोरी :  औरत को गरम कर के सेक्सी मजे लिए मैंने-3

उसके चूतड़ पहले से ज्यादा मज़ेदार दिख रहे थे और चंचल की चाल के साथ उसकी बाल्टी बहुत मटकती थी।

चंचल जब से वापस आई थी.. उसका मेरे प्रति नजरिया ही बदल गया था। अब वो मेरे आस-पास ज्यादा मंडराती थी। झाड़ू-पोंछा करने के समय कुछ ज्यादा ही चूचियाँ झलकाती थी।

मैं भी उसके मज़े ले रहा था.. पर मेरा लंड बहुत परेशान था.. उसे तो बस.. चंचल की बुर चाहिए थी।

मैं अब मौके की तलाश में रहने लगा। कुछ दिनों के बाद मेरे मम्मी-पापा को किसी रिश्तेदार की शादी में एक हफ्ते के लिए जाना था।

अब एक हफ्ते मैं और चंचल घर में अकेले रहने वाले थे।

हमारे घर वालों को हम पर कभी कोई शक नहीं था। उन्हें लगता था कि हम दोनों के बीच में ऐसा कुछ कभी नहीं हो सकता.. इसलिए वो निश्चिंत होकर शादी में चले गए।

जब मैं दोपहर को कॉलेज से वापस आया तो देखा की चंचल रसोई में थी, उसने केवल पेटीकोट और ब्लाउज पहना हुआ था। उस दिन गर्मी भी बहुत ज्यादा थी और चंचल से गर्मी शायद बर्दाश्त नहीं हो रही थी।

चंचल की गोरी कमर और मस्त चूतड़ों को देख कर मेरा लंड झटके देने लगा।

मैं आगे वाले कमरे में जाकर बैठ गया और चंचल को खाना लाने को कहा।

जब चंचल खाना ले कर आई.. तो मैंने देखा कि उसने गहरे गले का ब्लाउज पहना हुआ है.. जिसमें से उसकी आधी चूचियाँ बाहर दिख रही थीं।

उसकी गोरी-गोरी चूचियों को देख कर मेरा लंड और भी कड़ा हो गया और मेरे पैंट में तम्बू बन गया।

मैं खाना खाने लगा और चंचल मेरे सामने सोफे पर बैठ गई, उसने अपना पेटीकोट कमर में खोंश रखा था.. जिससे उसकी चिकनी टाँगें घुटने तक दिख रही थीं।

यह कहानी आप yachting4u.ru में पढ़ रहें हैं।
हिंदी सेक्स स्टोरी :  मेरा जवान नौकर गोपाल

खाना खाते हुए मेरी नज़र जब चंचल पर गई.. तो मेरे दिमाग सन्न रह गया। चंचल सोफे पर टाँगें फैला कर बैठी थी और उसका पेटीकोट जांघों तक उठा हुआ था। उसकी चिकनी जाँघों को देखकर मुझे लगा कि मैं पैंट में ही झड़ जाऊँगा।             “Pahli Bar Chudai Ka Khel”

उधर चंचल मुझे देख कर मुस्कुरा रही थी, उसने पूछा- और कुछ लोगे क्या.. राघव..?

मैंने ‘ना’ में सर हिलाया और चुपचाप खाना खाने लगा।

खाना खाने के बाद मैं अपने कमरे में चला गया.. तो चंचल मेरे पीछे-पीछे आ गई।

उसने मुझसे पूछा- क्या हुआ राघव.. खाना अच्छा नहीं लगा क्या?

मैंने बोला- नहीं चंचल.. खाना तो बहुत अच्छा था।

फिर चंचल बोली- फिर इतनी जल्दी कमरे में क्यों आ गए.. जो देखा वो अच्छा नहीं लगा क्या?

यह बोलते हुए चंचल ने अपनी बुर पर पेटीकोट के ऊपर से हाथ रख दिया।

अब मैं इतना तो बेवक़ूफ़ नहीं था कि इशारा भी नहीं समझता। मैं समझ गया कि चंचल भी चुदाई का खेल खेलना चाहती है.. मौका भी अच्छा है और लड़की भी चुदवाने को तैयार थी।                                           “Pahli Bar Chudai Ka Khel”

मैंने धीरे से आगे बढ़कर चंचल को अपनी बाँहों में भर लिया और बिना कुछ बोले उसके होंठों को चूमने लगा।

चंचल भी मुझसे लिपट गई और बेतहाशा मुझे चूमने लगी- राघव मैं तुम्हारी प्यास में मरी जा रही थी.. मुझे जवानी का असली मज़ा दे दो..

हिंदी सेक्स स्टोरी :  पति का लंड 2 इंच का था इस वजह से मैं ड्राइवर से फंस गई

चंचल बोल रही थी.. मैंने चंचल को अपनी गोद में उठाया और बिस्तर पर लिटा दिया।

फिर मैं उसके बगल में लेट कर उसके बदन से खेलने लगा। मैंने उसके ब्लाउज और पेटीकोट उतार दिए और खुद भी नंगा हो गया।

चंचल ने मेरे लंड को अपने हाथ में भर लिया और उससे खेलने लगी- हाय राघव.. तुम्हारा लंड तो बड़ा मोटा है.. आज तो मज़ा आ जाएगा।

चंचल अब सिर्फ काली ब्रा और चड्डी में थी। उसके गोरे बदन पर काली ब्रा और चड्डी बहुत ज्यादा सेक्सी लग रही थी।

मैंने शुरूआत तो कर दी थी.. पर मैं अभी भी कुंवारा था.. लड़की चोदने का मुझे कोई अनुभव तो था नहीं।

शायद मेरी झिझक को चंचल समझ गई.. उसने बोला- राघव तुम परेशान मत हो.. मैं तुम्हें चुदाई का खेल सिखा दूँगी.. तुम बस वैसा करो.. जैसा मैं कहती हूँ.. दोनों को खूब मज़ा आएगा।                                  “Pahli Bar Chudai Ka Khel”

मैं अब आश्वस्त हो गया.. चंचल ने खुद अपनी ब्रा खोल कर हटा दी, उसके गोरे-गोरे चूचे आज़ाद हो कर फड़कने लगे, गोरी चूचियों पर गुलाबी निप्पल्स ऐसे लग रहे थे.. जैसे हिमालय की छोटी पर किसी ने चेरी का फल रख दिया हो।

आपने yachting4u.ru में अभी-अभी हॉट कहानी आनंद लिया लिया आनंद जारी रखने के लिए अगली कहानी पढ़े..
yachting4u.ru में कहानी पढ़ने के लिये आपका धन्यवाद, हमारी कोशिश है की हम आपको बेहतर कंटेंट देते रहे!